दंगे में मुर्गा की मुर्गा बीती
ज्ञान चतुर्वेदी “मूर्खता बहुत चिंतन नहीं मांगती | बस थोडा सा कर लो, यही बहुत है | न भी करो तो चलता है |” ये पंक्तियाँ पढ़ते हुए मैंने चैन की सांस ली और सोचा कि जब ज्ञान चतुर्वेदी जी ने स्वयं ये बात कह दी है तो उनकी किताब के बारे में लिखते हुए मन पर उनके कद का बोझ लाद कर ज्यादा चिंतन क्या करना |…